कुष्ठ रोग की जानकारी और घरेलु इलाज।

कुष्ठ रोग एक क्रोनिक बीमारी है। ये एक संक्रमण बीमार है। यह बीमार जीवाणु माइकोबैक्टीरियम लेप्री के कारण होता है। यह बीमार तंत्रिका क्षतित्वचा के अल्सर  और नाक की परत, हाथ-पांव और ऊपरी श्वसन पथ की नसों को प्रभावित करता है। मांसपेशियों में कमजोरी पैदा करता है।  कुष्ठ रोग के वजह से पीड़ित को गंभीर विकृति और विकलांगता का सामना करना पड़ सकता है।इसलिए इस बीमारी के लिए समय पर उचित इलाज करना चाहिए। डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। कुष्ठ रोग को हैनसेन रोग से भी जाना जाता है। 

             यह बीमार माइकोबैक्टीरियम लेप्रे नामक बैक्टीरिया बहुत आहिस्ता आहिस्ता बढ़ते हैं। यह बीमार धीरे-धीरे बढ़ते हैं औरधीमी गति से बढ़ने वाले जीवाणु तथा संक्रमण बीमारी है और इसे पहचानना बहुत मुश्किल है। संक्रमण के बाद रोग के लक्षण विकसित होने में बहुत समय लगता है। यह बीमारी अति पिछड़े और विकाशील देशों में बहुत ज्यादा है।  यह बीमारी सबसे ज्यादा उष्णकटिबंधीय जलवायु  इलाके में रहने वाले लोगों में सबसे ज्यादा है। इस बीमार का पहचान वैज्ञानिक गेरहार्ड हेनरिक अर्माउर हेन्सन ने कीया। धीमी गति से बढ़ने वाले माइकोबैक्टीरियम लेप्री जीवाणु। तब से इस बीमारी का नाम हेन्सन रोग से भी जाना जाता है।

कुष्ठ रोग की जानकारी और इलाज। 


कुष्ठ रोग एक त्वचा संबंधी बीमारी है जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक वायरस के कारण होती है। इस रोग में त्वचा पर लाल या छोटे छोटे दाने दिखाई देते हैं जो बड़े हो जाते हैं और उनमें तरल पदार्थ भर जाता है। इन दानों के आसपास त्वचा फूल जाती है और यह फूलना भी रोग का एक लक्षण होता है। कुष्ठ रोग का इलाज लंबा और उपचार भरा होता है। सामान्यतया, इस रोग का उपचार अन्तिम रूप से लगभग 6 महीनों तक चलता है। इस रोग का इलाज दो भागों में विभाजित होता है - दवाइयों का उपयोग और सर्जरी।दवाइयों का उपयोग इस बीमारी को नियंत्रण में रखने के लिए किया जाता है। अन्तिम रूप से तब इसे ठीक करने के लिए कई दवाओं का संयोजन किया जाता है। ये दवाएं शरीर के अंदर माइकोबैक्टीरियम के विकास को रोकती हैं जो इस रोग के कारण होता है। इसके अलावा, सर्जरी भी एक विकल्प है। 

यदि आप कुष्ठ रोग से पीड़ित हैं तो आप निम्नलिखित घरेलू उपचारों का उपयोग कर सकते हैं:

1 पत्तों को पानी में उबालें और उस पानी से अपनी त्वचा को धोएं। नीम का तेल भी इस रोग के लिए उपयोगी होता है।

2. शुद्ध गंगा जल - गंगा जल को एक साफ बर्तन में डालें और उससे नहाएं। यह रोगी को ठंडक पहुंचाता है और उनकी त्वचा को स्वस्थ बनाने में मदद करता है।3. ज्योतिष्मती तेल - ज्योतिष्मती तेल को अपनी त्वचा पर लगाएं और मसाज करें। इससे आपकी

4. रोजाना नीम के पत्तियां गरम पानी में उबाल कर इस पानी से नहाने से कुष्ठ रोग में बहुत फायदा मिलता है।

5. कुष्ठ रोग के घरेलू उपचार के लिए कुछ नुस्खे हैं, जो निम्नलिखित हैं। 

6. नीम: नीम के पत्तों को पीसकर पेस्ट बनाएं और इसे रोगी के निकट लगाएं। यह संक्रमण को रोकने में मदद करता है।

7.गुड़हल: गुड़हल के फूलों को पीसकर इसे पेस्ट की तरह बनाएं और इसे रोगी के निकट लगाएं। यह संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।

8.जीरा: जीरे का पाउडर गुड़हल के पेस्ट में मिलाकर इसे रोगी के निकट लगाएं। जीरा भी संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।

9.तुलसी: तुलसी की पत्तियों को पीसकर इसे शहद के साथ मिलाकर रोगी को खिलाएं। इससे रोगी का शरीर मजबूत

10.नीम: नीम के पत्तों को पीसकर पेस्ट बनाएं और इसे रोगी के निकट लगाएं। यह संक्रमण को रोकने में मदद करता है।

11.गुड़हल: गुड़हल के फूलों को पीसकर इसे पेस्ट की तरह बनाएं और इसे रोगी के निकट लगाएं। यह संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।

12.जीरा: जीरे का पाउडर गुड़हल के पेस्ट में मिलाकर इसे रोगी के निकट लगाएं। जीरा भी संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।


तुलसी: तुलसी की पत्तियों को पीसकर इसे शहद के साथ मिलाकर रोगी को खिलाएं। इससे रोगी का शरीर मजबूत........ । 

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