पुराने बुखार के लक्षण | कारण |और घरेलु इलाज

पुराने बुखार काया हे? जानकारी 

बुखार होने पर शरीर का तापमान सामान्‍य से अधिक हो जाता है एवं बुखार के कारण कई तरह के रोग हो सकते हैं। बुखार के अन्‍य लक्षणों में कब्ज,जकाम, बदन दर्द, खासी और भूख ना लागना। आयुर्वेद में बुखार को ज्‍वर एवं अनेक रोगों का लक्षण कहा जाता है।आयुर्वेद के अनुसार बुखार को नियंत्रित करने के लिए वमन कर्म , विरेचन कर्म, बस्‍ती कर्म और नास्‍य कर्म  का इस्‍तेमाल किया जा सकता है। बुखार के दौरान थोड़ा या बिलकुल पसीना नहीं आता है, इसलिए पसीना उत्पन्न करने से बुखार का इलाज करने में मदद मिलती है। जिस दोष के कारण बुखार हुआ है उसे हल्‍के भोजन और पाचक उत्तेजक जैसी प्रक्रियाओं से संतुलित किया जाता है। बुखार  किसी भी दोष के खराब होने या बाहरी कारणों की वजह से बुखार हो सकता है।आयुर्वेद में बुखार के अनेक कारणों का उल्‍लेख किया गया है। जैसे कि वात, पित्त, कफ, कफ, वात-पित्त, वात-कफ, पित्त-कफ और सन्निपतक ।

 

पुराने बुखार लक्षण (Chronic fever symptoms)

1.उच्च तापमान: बुखार के साथ शरीर का तापमान बढ़ जाता है और यह उच्च तापमान के साथ बना रहता है। यह तापमान सामान्यतया 100 डिग्री फारेनहाइट (37.8 डिग्री सेल्सियस) से ऊपर होता है।

2.थकान: बुखार के साथ थकान महसूस होती है। व्यक्ति अपने आप को थका महसूस करता है और शारीरिक गतिविधियों में कमी महसूस होती है।
3.सिरदर्द: बुखार के साथ सिरदर्द भी हो सकता है। इसे माइग्रेन के साथ भी तुलना किया जा सकता है।
4.नींद की कमी: बुखार के साथ नींद की कमी होती है और व्यक्ति अधिक थका हुआ महसूस करता है।
5.गले में खराश: बुखार के साथ गले में खराश भी हो सकती है और व्यक्ति को गले में दर्द महसूस होता है।

6.भूख न लगना: मरीजों को भूख नहीं लगती है या वे ठीक से खाने पीने में असमर्थ होते हैं।

7.बुखार के उपरांत पसीने आना।

8.वजन कम होना: अगर मरीजों का बुखार लंबे समय तक रहता है तो उनका वजन कम होना शुरू हो जाता है।


पुराने बुखार कारण  (Causes of chronic fever) 

पुराने बुखार के कई कारण हो सकते हैं। यह एक असामान्य स्थिति है जिसे एक व्यक्ति बहुत लंबे समय तक अनुभव करता है। कुछ सामान्य कारण निम्नलिखित हैं:

1.टीबी (Tuberculosis)

2.एचआईवी / एड्स (HIV/AIDS)

3.मलेरिया (Malaria)

4.टाइफाइड (Typhoid)

5.डेंगू (Dengue)

6.चिकनगुनिया (Chikungunya)

7.ब्रूसेलोसिस (Brucellosis)

8.रिकेट्सिया (Rickettsia)

9.लेप्रोसी (Leprosy)

8.अमेरिकी लाल बुखार (Rocky Mountain Spotted Fever)

10. जुकाम (Flu)

इनमें से कुछ कारण संक्रमण से संबंधित होते हैं जो एक संक्रमण रोग से हो सकते हैं जबकि कुछ अन्य कारण अन्य विभिन्न समस्याओं से संबंधित हो सकते हैं। इसलिए, अगर आपको लंबे समय तक बुखार होता है, तो आपको अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।


पुराने बुखार का आयुर्वेदिक घरेलु इलाज (Ayurvedic Home Remedies for Chronic Fever l


पुराने बुखार के लिए आयुर्वेदिक घरेलू उपचार कुछ इस प्रकार हो सकते हैं:
1.तुलसी का रस: तुलसी का रस बुखार को कम करने में मदद कर सकता है। आप एक गिलास पानी में तुलसी के पत्तों का रस मिलाकर पी सकते हैं।
2.सौंठ का पानी: सौंठ का पानी बुखार के लिए एक अच्छा घरेलू उपचार हो सकता है। आप एक गिलास पानी में सौंठ का पाउडर डालकर उबाल सकते हैं। इसे ठंडा करने के बाद पीना चाहिए।
3.गिलोय: गिलोय बुखार को कम करने में मदद कर सकता है। आप गिलोय के पत्तों को एक कप पानी में उबाल सकते हैं। उबालने के बाद, उसे ठंडा करने के बाद पीना चाहिए।
4.हल्दी दूध: हल्दी दूध बुखार के लिए एक अच्छा घरेलू उपचार है। आप एक गिलास दूध में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर उबाल सकते हैं। इसे ठंडा करने के बाद पीना चाहिए।
5.पानी: एक बहुत महत्वपूर्ण घरेलू उपचार है समय-समय पर पानी पीना। आपको रोजाना कम से कम 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए। 

6.सौंफ: सौंफ के बीजों को पीसकर उसे एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर पीने से बुखार में राहत मिलती है।
7.अम्ल फल: अम्ल फल जैसे कि आम, नींबू और अनार बुखार में लाभदायक होते हैं।

1.अदरक = अदरक  शरीर के पाचन और श्‍वसन तंत्र पर कार्य करती है। ये दर्द से राहत दिलाती है और वायुनाशी पाचक और कफ निस्‍सारक कार्य करती है। इस प्रकार अदरक बुखार से संबंधित लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद करती है। रोगों को नियंत्रित करने के लिए अदरक का इस्‍तेमाल किया जाता है। और कफ को कम करती है...... ।

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