आयुर्वेद शाब्दिक अर्थ=
आयुर्वेद शाब्दिक मतलब आयु + वेद' मतलब 'दीर्घायु का विज्ञान आयुर्वेद एक श्रेष्ठ चिकित्सा प्रणाली है आयुर्वेद की जड़ें भारत में हैं।श्रीलंका... नेपाल.... भारत... में आयुर्वेद का अत्यधिक प्रचलन है.. जहाँ लगभग ज्यादातर लोग मानते हैं
आयुर्वेद विशेषज्ञों के अनुसार, शरीर अनेक समस्याओं से प्रभावित होता है, जैसे कि आहार, जीवन शैली, एवं शरीर में अन्य विभिन्न कारणों के कारण। आयुर्वेद में शरीर को स्वस्थ रखने और बीमारियों को ठीक करने के लिए विभिन्न चिकित्सा तरीके उपलब्ध हैं, जिनमें आहार और उपचार, जड़ी बूटियों का उपयोग, मसाज और योग शामिल हैं। आयुर्वेद में, रोग की जड़ को ठीक करने की कोशिश की जाती है जबकि वेस्टर्न मेडिसिन में समस्या के लक्षणों को दूर करने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है। इसलिए, आयुर्वेद अधिकतर दवाइयों का उपयो
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आयुर्विज्ञान विज्ञान की वह शाखा है जिसका सम्बन्ध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने तथा आयु बढ़ाने से है।आयुर्वेद भारतीय आयुर्विज्ञान है आयुर्वेद अर्थात जो विज्ञान आयु जीवन का ज्ञान कराता है उसे आयुर्वेद कहते हैं। अर्थात जिस शास्त्र में उम्र का विभाजन आयु विद्या, .. आयु ज्ञान आयु लक्षण प्राण होने के दर्शाता है.संसार की प्राचीनतम् चिकित्सा है युर्वेद के ग्रन्थ तीन शारीरिक दोषों वात पित्त कफ के असंतुलन को बिमार का कारण मानते हैं और समदोष की स्थिति को आरोग्य। कुछ लोग आयुर्वेद के सिद्धान्त और व्यवहार को बहुत आधिक महत्व देते हैं विद्वानों ने इसका रचना काल ईसा के 50.000 वर्ष पूर्व तक का माना है। युर्वेदिक औषधियों के अधिकांश घटक जड़ी-बूटियों..पौधों..फूलों एवं फलों आदि से प्राप्त की जातीं हैं। अतः यह चिकित्सा प्रकृति के निकट है।आयुर्वेद वर्षों से स्वस्थ जीवन का मार्ग दिखा रहा है। प्राचीन काल से आयुर्वेद के परंपरागत चिकित्सा पद्धति है.
आयुर्वेद एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति है जिसे "जीवन का विज्ञान" कहा जाता है। इस पद्धति का मूल मंत्र है स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना और बीमार व्यक्ति का उपचार करना।आयुर्वेद के अनुसार, शरीर, मन और आत्मा का संतुलन जीवन के स्वस्थ रहने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।
आयुर्वेद में भौतिक चिकित्सा के साथ-साथ ज्योतिष, योग, प्राणायाम स्वास्थ्य को बनाए रखने के कारण हमने आधुनिक समय में भी आयुर्वेद के सिद्धांतों और उपयोग करना नहीं छोड़ा - यह है आयुर्वेद का महत्व।आयुर्वेद 5000 हजार साल पुरानी चिकित्सा पद्धति है.. जो हमारी आधुनिक जीवन शैली को सही दिशा देने और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी आदतें विकसित करने में सहायक होती है। इसमें जड़ी बूटि सहित अन्य प्राकृतिक चीजों से उत्पाद.. दवा.. जीवन में इस्तेमाल होने वाले पदार्थ तैयार किए जाते हैं इनके इस्तेमाल से जीवन सुखी, तनाव मुक्त और रोग मुक्त बनता है।धन्यवाद...
1. आयुर्वेद क्या है: आयुर्वेद भारतीय प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है जिसमें शरीर, मन और आत्मा के संतुलन को बनाए रखने के उपायों का पर्याप्त ज्ञान है। यह चिकित्सा प्रणाली जीवन की स्वास्थ्य और रोगों की परिचय को दर्शाती है और प्राकृतिक उपचारों का उपयोग करके रोगों का इलाज करती है।
2. त्रिदोष: आयुर्वेद में "त्रिदोष" का अवश्यक रूप से महत्व है। यह तीन बुनाईयाँ हैं - वात (Vata), पित्त (Pitta), और कफ (Kapha) - जो शरीर के संतुलन को नियंत्रित करती हैं।
3. प्राकृतिक परिपर्णता: आयुर्वेद में हर व्यक्ति की अनुकूल प्रकृति होती है, जिसे "प्राकृतिक परिपर्णता" कहा जाता है। यह प्रकृति वात, पित्त, और कफ की सांत्वना की अधिकता या कमी में आती है और व्यक्ति के विकृतियों का कारण बनती है।
4. आहार और जीवनशैली: आयुर्वेद में आहार और जीवनशैली का महत्वपूर्ण योगदान होता है। व्यक्ति के प्रकृति और विकृति के आधार पर उन्हें उचित आहार और व्यायाम की सलाह दी जाती है।
5. आयुर्वेदिक चिकित्सा: आयुर्वेद में चिकित्सक रोगों का निदान करने के लिए नदी परीक्षण (नादी परीक्षण) और जिह्वा परीक्षण (तोंग परीक्षण) का उपयोग करते हैं, जो रोगी की प्रकृति और विकृतियों को जानने में मदद करते हैं। फिर उन्हें प्राकृतिक उपचारों का सुझाव दिया जाता है।
6. आयुर्वेदिक दवाएँ: आयुर्वेद में दवाएँ प्राकृतिक उपचारों से तैयार की जाती हैं, जो वनस्पति, खाद्य पदार्थ और औषधियों से प्राप्त की जाती हैं। ये दवाएँ विभिन्न रूपों में उपलब्ध होती हैं जैसे कि गोलियाँ, चूर्ण, अरिष्ट, आसव, घृत, और तेल आदि।
यह केवल आयुर्वेद की संक्षिप्त जानकारी है, आपको अधिक जानकारी चाहिए तो किसी प्राकृतिक चिकित्सक से परामर्श करना उचित होगा।
आयुर्वेद भारतीय परंपरागत चिकित्सा प्रणाली है जिसकी जड़ें वेदों में मिलती हैं। यह चिकित्सा प्रणाली शरीर, मन, और आत्मा के संतुलन को बनाए रखने और बीमारियों का उपचार करने के लिए प्राकृतिक उपचारों का प्रयोग करती है। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में तीन प्रमुख दोष होते हैं - वात, पित्त, और कफ, और इनके संतुलन के माध्यम से हमारी स्वास्थ्य सुरक्षित रहती है।
आयुर्वेद में चिकित्सा का धार्मिक, वैज्ञानिक, और दार्शनिक पहलु होता है। यह चिकित्सा विधि व्यक्ति की प्रकृति, विकृति, उम्र, लिंग, आहार, जीवनशैली, आदि के आधार पर उपचार प्रदान करती है।
आयुर्वेद में चिकित्सा के उपायों में जड़ी बूटियों, पौधों, पौष्टिक आहार, योग और प्राणायाम का महत्वपूर्ण योगदान होता है। यह न केवल बीमारियों का इलाज करता है, बल्कि स्वास्थ्य की देखभाल, रोगों से बचाव, और सामग्री जीवन जीने के तरीकों को भी समझाता है।
कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक चिकित्सा विधियाँ शिरोधारा (तेल की धारा), पिंगला क्रिया (प्राणायाम का एक रूप), पांचकर्मा (पाँच विशेष शुद्धिकरण चिकित्सा प्रक्रियाएँ), आदि हैं।
कृपया ध्यान दें कि आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली अच्छे और विशेषज्ञ वैद्यों के मार्गदर्शन में ही किया जाना चाहिए। यदि आपको किसी विशिष्ट स्वास्थ्य समस्या का सामान्य ज्ञान हो, तो आप उचित उपाय की तलाश में विशेषज्ञ आयुर्वेद चिकित्सक से सलाह प्राप्त कर सकते हैं।