कृमि रोग का मतलब होता है कि शरीर में किसी प्रकार के कीटाणु, पैरासाइट या कृमि होना। इसमें सबसे आम लक्षण जलदी थक जाना, पेट दर्द, उल्टी या दस्त होना होते हैं। इसके अलावा, कुछ लोगों में त्वचा के रूप में खुजली और रेशेदार बुनियादें दिखाई दे सकती हैं। यह रोग खाद्य पदार्थों या पानी में मौजूद विषाक्त पदार्थों से फैल सकता है।
कृमि रोग एक प्रकार का संक्रमण होता है जो जीवाणु, पारजीव और कीटाणुओं से होता है। इसके कुछ सामान्य लक्षण हैं जैसे पेट दर्द, उलटी, पेट में गैस, अपच आदि। यदि आप कृमि रोग से पीड़ित हैं, तो निम्न आयुर्वेदिक घरेलू उपचार अपना सकते हैं।
कृमि रोग का आयुर्वेदिक घरेलु इलाज ।
1.अजवाइन (ओवा) - आप एक चम्मच अजवाइन का पाउडर एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर पी सकते हैं। यह आपके पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करेगा और आपको कृमि से निजात दिलाएगा। 2.नीम - नीम के पत्तों को पानी में उबालकर इसे अच्छी तरह से चान लें। अब आप इस पानी को ठंडा होने दें और उसे पी सकते हैं।
3.पपीता: पपीते में पाए जाने वाले एंटी-पैराजिटिक गुण कृमि रोग से लड़ने में मदद करते हैं। आप पपीते का सेवन कर सकते हैं या तो आप पपीते का जूस बना सकते हैं और इसे पी सकते हैं।
4.लहसुन पेट की कृमि के इलाज में फायदेमंद कृमि रोग होने पर लहसुन की चटनी बनाकर खाएँ।लहसुन की चटनी में सेंधा नमक मिलाकर सुबह-शाम खाने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं। बच्चों और बड़ों दोनों में ही इसका प्रयोग कर सकते हैं।
5.कच्चे आम की गुठली का चूर्ण दही या पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इसके नियमित सेवन से कुछ ही दिन में पेट के कीड़े बाहर निकल जाते हैं।
6.चुटकी भर काला नमक और आधा ग्राम अजवायन चूर्ण मिलाकर रात को सोते समय गर्म पानी से लें।
